किसी को मेरी याद आए एक अरसा हुआ !!
कोई है हैरान तो कोई तरसा हुआ !!
इस तरह खामोश हैं ये दिल ये आँखें मेरी !!
जैसे खामोश हो कोई बादल बरसा हुआ !!
तेरी जगह आज भी कोई नहीं ले सकता ,
पता नहीं वजह तेरी खूबी है या मेरी कमी..!!
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया;
तो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया!
मेरी आँखों में अब भी चुभता है ऐ जान
तूने जो ख़्वाब तोड़ डाला था
टूट गया. सरफिरी हवाओं का. सारा ग़ुरूर
एक दिया. खूली छत पर. रातभर जलता रहा .
चलिए जिंदगी का जश्न कुछ इस तरह मनाते है ,
कुछ अच्छा याद रखते है और कुछ बुरा भूल जाते है !!
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