तेरे दीदार का नशा भी .. .. .. अजीब हैं ..
तु ना दिखे तो .. .. दिल तडपता हैं .. और ..
तु दिखे हैं तो .. .. .. नशा और चढता हैं
एक ज़ख्म नहीं यहाँ तो सारा वजूद ही ज़ख्मी है,
दर्द भी हैरान है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ !!
लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत,
का इज़हार नहीं करते,
हमने कहा जो लब्जों में बयां,
हो जाये सिर्फ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते."
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