Sunday 30 July 2017

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hasti aankho ka nur

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#हंसती #आंखों का #नूर तो देखिए #सनम,,,,
_बन्द #पलकों में #मोहब्बत देखती हूँ,,,ओर #खुली में #महबूब,,,,
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ना ही मैं कबीर हूँ,ना ही में रहीम हूँ,
दीवाना हुँ शायरी का, बस ज़ख्मो से मैं अमीर हूँ!
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आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े..
मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी सै उछल पडे..।।
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गलत कहते है लोग की सगंत‬
का असर होता है...!
वो बरसों मेरे साथ रही फिर भी
बेवफ़ा निकली यारो !!
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मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है,
जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है !!⁠⁠⁠⁠
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नाराज हमेशा खुशियां ही होती हैं..

गमों के कभी इतने नखरे नहीं रहे !!
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निगाहों से ...कितना दूर करोगे .....

ख्यालो से दूर करो ......तो जाने....
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किताब-ए-दिल का
कोई सफां खाली नहीं होता..!
निगाहें वो भी पढ़ लेती है,
जो लिखा नहीं होता..!!!

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