Friday, 15 July 2016

Filled Under:

jab bhi manch par jata hu

Share
जब भी मंच पे जाता हूँ
मैं ' दीपक ' हो जाता हूँ

फिर इस दुनिया में आकर
' गुप्ता जी ' कहलाता हूँ

सुकूँ मुझे है इज़्ज़त संग
पैसे चार कमाता हूँ

भाग्य मेरा भी चमकेगा
ख़ुद को ये समझाता हूँ

तू जो है मसरूफ़ अगर
चल मैं ही आ जाता हूँ

कवि  - दीपक गुप्ता  


Followers