🌹हरे कृष्ण हरे राम🌹
🔆मैली चादर ओढ़ के कैसे।
द्वार तुम्हारे आऊँ॥
हे पावन परमेश्वर मेरे।
मन ही मन शरमाऊँ॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे...||
🔆तूने मुझको जग में भेजा।
निर्मल देकर काया॥
आकर के संसार में मैंने ।
इसको दाग लगाया॥
🔆जनम जनम की मैली चादर।
कैसे दाग छुड़ाऊं॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे।
द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
🔆निर्मल वाणी पाकर तुझसे।
नाम ना तेरा गाया॥
नैन मूँदकर हे द्वारिकाधीश
कभी ना तुझको ध्याया॥
🔆मन-वीणा की तारे टूटी।
अब क्या राग सुनाऊँ॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे ।
द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
🔆इन पैरों से चलकर तेरे ।
मंदिर कभी ना आया॥
जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी।
कभी ना शीश झुकाया॥
🔆हे द्वारिकाधीश मै हार के आया।
अब क्या हार चढाउँ॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे।
द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
🔆तू है अपरम्पार दयालु।
सारा जगत संभाले॥
जैसा भी हूँ मैं हूँ तेरा ।
अपनी शरण लगाले॥
🔆छोड़ के तेरा द्वार यारा
और कहीं नहीं जाऊं॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे।
द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
जय द्वारिकाधीश जी की
निर्मल देकर काया॥
आकर के संसार में मैंने ।
इसको दाग लगाया॥
🔆जनम जनम की मैली चादर।
कैसे दाग छुड़ाऊं॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे।
द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
🔆निर्मल वाणी पाकर तुझसे।
नाम ना तेरा गाया॥
नैन मूँदकर हे द्वारिकाधीश
कभी ना तुझको ध्याया॥
🔆मन-वीणा की तारे टूटी।
अब क्या राग सुनाऊँ॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे ।
द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
🔆इन पैरों से चलकर तेरे ।
मंदिर कभी ना आया॥
जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी।
कभी ना शीश झुकाया॥
🔆हे द्वारिकाधीश मै हार के आया।
अब क्या हार चढाउँ॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे।
द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
🔆तू है अपरम्पार दयालु।
सारा जगत संभाले॥
जैसा भी हूँ मैं हूँ तेरा ।
अपनी शरण लगाले॥
🔆छोड़ के तेरा द्वार यारा
और कहीं नहीं जाऊं॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे।
द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
जय द्वारिकाधीश जी की
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