ये
माना कि दुनिया में
मेले बहुत हैं
मगर इन दिनों
हम अकेले बहुत हैं
इधर
हम पे भारी है ग़ुरबत
हमारी
उधर जान को भी
झमेले बहुत हैं
उजड़ते
हुए ख्वाब , टूटे हुए
दिल
हम ऐसे खिलौनों
से खेले बहुत हैं
ये
ख़ामोशी उसकी बयां
कर रही है
समुन्दर ने
तूफ़ान झेले बहुत हैं
मज़ा
लेके उस्ताद मुझसे
यूँ बोले -
तुम्हारे भी
उस्ताद ! चेले बहुत
हैं