Monday, 11 July 2016

Filled Under: , , ,

yaad purani fir bone ko man karta hai

Share
याद पुरानी फिर बोने को मन करता है ।
फूट फूट कर फिर रोने को मन करता है ।
मन पागल है , कुछ भी खोने से डरता है,
जो खोया है फिर पाने को मन करता है ।
दाग लगा और देख ना पाया मैं अज्ञानी,
इस चादर को फिर धोने को मन करता है ।
माना खुद में टूट गया था मैं बिखरा था,
एकबार फिर से जुड़ने को मन करता है ।
सदियाँ बीतीं नींद नहीं आयी है मुझको,
माँ की गोद में फिर सोने को मन करता है ।
याद पुरानी फिर बोने को मन करता है ।
फूट फूट कर फिर रोने को मन करता है ।

Followers