Tuesday, 12 July 2016

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kala dhan vo dhan hai

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काला धन वो धन है जिसका टैक्स बचाया जाता है
अक्सर ये धन सात समन्दर पार छुपाया जाता है
काले धन की अर्थव्यवस्था पूरा देश रुलाती है
झोपड़ पट्टी के बच्चों को खाली पेट सुलाती है
ये निर्धन के हिस्से की इमदादों को खा जाती है
मनरेगा के, अन्त्योदय के वादों को खा जाती है
बॉलीवुड की आधी दुनिया काले धन पर जिंदा है
चुपके-चुपके चोरी-चोरी दो नंबर का धंधा है
जब व्हाइट पैसे से बनती थी तो फिल्में काली थी
नैतिकता की संपोषक थी शुभ संदेशों वाली थी
काले धन की फ़िल्मी दुनिया इन्द्रधनुष रंगों में है,
पर दुनिया में जगह हमारी नंगों-भिखमंगों में है
काले धन के बल पर गुंडे निर्वाचित हो जाते हैं
भोली-भाली भूखी जनता में चर्चित हो जाते हैं
खनन माफिया काले धन के बल पर ऐंठे-ऐंठे हैं
स्विस बैंकों की संदूकों के तालों में जा बैठे हैं
राजमहल के दर्पण मैले-मैले हैं
नौकरशाही के पंजे जहरीले हैं
शासकीय सुविधा बँट गयी दलालों में
क्या ये ही मिलना था पैंसठ सालों में
सैंतालिस में हम आजाद हुए थे आधी रजनी को
भोर नहीं आई अँधियारा घोर दिखाई देता है।
काले धन का मौसम आदमखोर दिखाई देता है।

-डॉ. हरिओम पंवार



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