गौरैया के बच्चों को गिरा दिया है नीड़ ने
आस्थाएं तोड़ दी हैं साधुओं की भीड़ ने
पाखंडी परम्परा है आन-बान-शान की
है करोड़ों की कमाई मज़हबी दुकान की
पूजा-पाठ हो रहे हैं धन्ना सेठ के लिए
कोई यज्ञ होता नहीं भूखे पेट के लिए
भगवानों के चित्रों से भभूत झड़ी मिली है
साधुओं की देह हीरे मोती जड़ी मिली है
कोई स्वर्ग जाने हेतु दे रहा है सीढियाँ
कहीं भूत-प्रेतों से ही डर रही हैं पीढियाँ
कोई सुबह का उजाला रैन बना देता है
कोई चमत्कार स्वर्ण चैन बना देता है
कोई मन्त्र-सिद्धि की ही दे रहा है बूटियाँ
कोई हवा में ही बना देता है अँगूठियाँ
पर कोई गरीबों की लँगोटी न बना सका।
कोई स्वामी संत बाबा रोटी न बना सका।।
-------डॉ. हरिओम पंवार
आस्थाएं तोड़ दी हैं साधुओं की भीड़ ने
पाखंडी परम्परा है आन-बान-शान की
है करोड़ों की कमाई मज़हबी दुकान की
पूजा-पाठ हो रहे हैं धन्ना सेठ के लिए
कोई यज्ञ होता नहीं भूखे पेट के लिए
भगवानों के चित्रों से भभूत झड़ी मिली है
साधुओं की देह हीरे मोती जड़ी मिली है
कोई स्वर्ग जाने हेतु दे रहा है सीढियाँ
कहीं भूत-प्रेतों से ही डर रही हैं पीढियाँ
कोई सुबह का उजाला रैन बना देता है
कोई चमत्कार स्वर्ण चैन बना देता है
कोई मन्त्र-सिद्धि की ही दे रहा है बूटियाँ
कोई हवा में ही बना देता है अँगूठियाँ
पर कोई गरीबों की लँगोटी न बना सका।
कोई स्वामी संत बाबा रोटी न बना सका।।
-------डॉ. हरिओम पंवार